असग़र वजाहत के साहित्य में भाषा का जो जनतांत्रिक स्वरूप मिलता है सही अर्थों में वो हिंदुस्तानी है| हिंदुस्तानी जनसाधारण की अपनी जबान हैं जो किसी भी दबाव या मानक रूप के बंधनों को स्वीकार नहीं करती| जनसाधारण की प्राणधारा के रूप में समूचे भारत की अभिव्यक्ति की भाषा है. भारत जैसे विविधता वाले देश में सबके साथ अटूट संबंध बनाने में हिंदुस्तानी एक कारगर उपाय के रूप में साम....
