असग़र वजाहत की कहानी 'शाह आलम कैम्प की रूहें' का यह अंश महात्मा गांधी के बारे में है। वे अपने जीवन को 'सत्य के साथ प्र
पूरा पढ़े‘शाह आलम कैम्प की रूहें’ कहानी आज से लगभग पंद्रह साल पहले लिखी गयी थी. 2007 में प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘मैं हिन्दू हूँ’
पूरा पढ़ेकभी सआदत हसन मंटो ने कहा था कि कहानियाँ तो हमारे चारों ओर बिखरी पड़ी है, बस निगाह चाहिए उनको पहचानने की- और यह बात असगर
पूरा पढ़ेअसग़र वजाहत हिंदी के उन लेखकों में हैं जिन्हें पाठकों तक पहुंचने के लिए आलोचना या पुरस्कार के पुलों की ज़रूरत नहीं
पूरा पढ़ेअसगर वजाहत हिन्दी के एक बड़े बहुपठित लेखक के तौर पर समादृत हैं। इनकी रचनायें यों तो प्रायः सभी विधाओं में मौजूद हैं,
पूरा पढ़ेहमारे यहां तमाम क्षेत्रों में बदलाव की प्रक्रिया दिखाई दे रही है। इस तरह की बातें कहीं सुनी भी जा रही हैं कि देश बदल
पूरा पढ़ेअसगर जी के कलाकार रूप के बारे में जो सबसे कम ज्ञात है वह है चित्र कला से उनका प्रेम। वे वास्तव में, बहुत सुन्दर पेंट
पूरा पढ़ेअसग़र वजाहत का उपन्यासकार एवं कहानीकार पक्ष , भारतीय कथाजगत में निश्चय ही एक हस्तक्षेपकारी और सशक्त पक्ष है। उनकी क
पूरा पढ़ेहिंदी कथा साहित्य के सरताज़ प्रेमचंद ने कहा है “ सबसे उत्तम कहानी वह होती है, जिसका आधार किसी मनोवैज्ञानिक सत्य पर
पूरा पढ़ेवसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी सम्पूर्ण मानव जाति को एक परिवार की तरह देखने-मानने की अवधारणा हमारे आर्ष ग्रंथों में मिल
पूरा पढ़ेइस नाटक में असगर वजाहत अकबर और तुलसीदास के बहाने से राजसत्ता और कला के संबंधों की व्याख्या करते हुए स्थापित करते
पूरा पढ़ेअसग़र वजाहत के साहित्य में भाषा का जो जनतांत्रिक स्वरूप मिलता है सही अर्थों में वो हिंदुस्तानी है| हिंदुस्तानी जन
पूरा पढ़ेअसग़र वजाहत साहब के नाटकों पर लिखना वाकय में एक ऐसा अनुभव है जिसे नाटक की दुनिया में मंच पर जीना कहा जा सकता हैl असगर ज
पूरा पढ़ेअसगर वजाहत जिस तरह चुनौतियों के साथ लेखन किया करते है उसकी रचना प्रक्रिया पर बात करना उतना ही चुनौतीपूर्ण लगता है।
पूरा पढ़ेनाट्य संवेदना का संवाहक तत्व रंगशिल्प कहलाता है। नाटककार अपने भाव, विचार तथा कामनाओं को दर्शकों तक प्रभावी एवं कल
पूरा पढ़ेअसगर वजाहत की बहुआयामी रचना-यात्रा में हालांकि कहानी के पडाव अधिक महत्त्वपूर्ण (माने जाते) हैं, पर उपन्यास, नाटक, न
पूरा पढ़ेअविभाजित भारत में जन्मे और विभाजित भारत में पले-बढ़े असग़र वजाहत हिंदी के बहु-प्रतिष्ठित और बहु-पठित गद्यकारों में स
पूरा पढ़े‘नुक्कड़ नाटक’ और ‘असग़र वजाहत’- दोनों से मेरा परिचय एक ही साथ हुआ। कक्षा में शिक्षक ने ‘नुक्कड़ नाटक’ पर बात करते हुए
पूरा पढ़ेदुनिया में पाकिस्तान के होने का क्या मतलब है? वह ईश्वर का घर है? या उसके मूल में ईश्वर की एकता का संदेश है। क्या उसे अ
पूरा पढ़ेहिंदी साहित्य में गद्य लेखन के आरम्भ के साथ ही निबंध लिखे जाने लगे थे. भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी
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