कविता

  • इब्बार रब्बी का स्कूटर

    ये स्कूटर है  हां ये स्कूटर है  दो पहिए हैं चलता है  पर मुझसे नहीं  चलता है दूसरों से  मुझे दो लत्ती मारता है  मेरा है 

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