विवेचन 

  • असग़र वज़ाहत: एक यायावर क़िस्सा गो

    असग़र वज़ाहत मनुष्य और लेखक दोनो अर्थों मे अपने समकालीनों से भिन्न हैं और कई बार यह भिन्नता हमे चकित करती है । मै अक

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  • ‘सात आसमान’ में असग़र

    अपने प्रिय कथाकार एवं अभूतपूर्व मित्र असग़र वजाहत पर लिखते समय अचानक उर्दू के मशहूर शायर जगन्नाथ आजाद की ये काव्य-

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  • असग़र का जामिया  

    दिल्ली का इतिहास इतना पुराना एवं गौरवपूर्ण है कि उसे बार-बार दोहराना मेरा उद्देश्य नहीं। मैं इस लेख में जामिया और

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  • असग़र वजाहत के वे कार्य जिन्हे बहुत कम लोग जानते हैं 

    असग़र वजाहत सर की बात उनसे हुई पहली मुलाक़ात से आरंभ करता हूँ। यानी  जब मैंने उन्हें पहली बार जामिया में देखा था। ये 1999

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