रचनाकार और सत्ता के संबंधों को लेकर अक्सर बात होती रहती है। कुम्भनदास की पंक्ति ‘संतन कहा सीकरी सों काम’ को लेखकगण प्राय: अपने पक्ष में उल्लेख करते रहते हैं, यह बात अलग है कि अधिसंख्य लेखक सीकरी की ओर भागते दिखायी देते हैं। ‘तद्भव’ के नये अंक में डॉ. राधावललभ त्रिपाठी का एक वैदुष्यपूर्ण आलेख छपा है जिसका शीर्षक है- ‘संस्कृत साहित्य में विद्रोह, विरोध और असहमति।&rsqu....
