असग़र वजाहत हिंदी के उन लेखकों में हैं जिन्हें पाठकों तक पहुंचने के लिए आलोचना या पुरस्कार के पुलों की ज़रूरत नहीं पड़ी। बेशक, वे चर्चा में भी रहे हैं और उन्हें पुरस्कार भी मिले हैं- इसके अलावा सबसे बड़ी बात- वे बरसों यूरोप में रहे- जिसकी कामना हिंदी लेखक करते रहे हैं और अपने बायोडेटा में अपनी विदेश यात्राओं को विशेष जगह देते रहे हैं- लेकिन यह उनका लगातार चलता रहा विविधता....
