रजत सान्याल

कवि की मौत      

आज बहुत निर्दयी दिन है,
दो सिपाही जो हरे रंग के कपड़े पहनें थे
कवि को खींच कर ले गए
कवि महोदय ने सवाल पूछे 
मुझे क्यों ले जा रहे हो और कहाँ
मेरे हाथ बंधे हैं 
सिपाही ने कोई उत्तर नहीं दिया
क्योंकि वे उत्तर दे नहीं सकते
उनके स्वर बंद कर दिए गए हैं
जीभ काट ली गई है
कोई रोशनी नहीं दिखाई दे रही है
शाम के समय  में अंधेरा है 
सिर्फ जूते की आवाज़ स....

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