कहानी

  • जहां तजलील है जीना

    सोचा न था कि इस जिंदगी में उसे ऐसे सदमों का सामना करना पड़ेगा। एक साथ दो सदमा, कैसे झेले कुसुम ! उसे समझ नहीं आ रहा था क

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  • ख़्वाब देखता ख़त

    मैं वही जिसके ख्वाबों में तुम हमेशा रही हो, बचपन से लेकर इस उम्र तक।  मेरा मानना है कि ख्वाबों में उम्र का जिक्र नहीं

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  • "थर्ड जेंडर"

    ढोलक की तेज थाप और तालियों  की लयबद्धता गाने को और भी सुरीला बना रही थी।धीरे-धीरे आवाज और पास आती चली गई।नूपुर उस आव

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  • ऋणमुक्ति

    पिछले एक दशक में ऋषिकेश का नक्शा काफी बदल चुका था । गंगा के किनारे दर्जनों छोटे बड़े होटल, धर्मशाला और कुछ नीजि बंगलो

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  • भले घर की औरत

    वह स्त्री बेहद घबराई हुई प्रतीत हो रही है, और बेहद परेशान भी, रह-रहकर चौंक भी जाती है, खासकर जब परिचित-सा चेहरा लिये क

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