समाज में जिसके पास कुछ नहीं होता, प्रायः उसका कोई नहीं होता। ध्यातव्य है कि बतौर कथाकार रेणु उनके होते हैं, जिनका को
पूरा पढ़ेयह आठ मई 2018 की बात है. मैं अपने एमए के विद्यार्थी अनुपम भट्ट के साथ राजीव चौक से वैशाली जाने वाली मेट्रो में सवार हुआ.
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