यथार्थ की कटुता एवं कड़वाहट,व्यवस्था की असंवेदनशीलता और नाकारापन, यथास्थितिवाद के अलावा मानवीय मूल्यों के ह्यस के बीच पिसते, छटपटाते , अपमानित होते और अपनी असहायता-असमर्थता को हर पल शिद्दत से अनुभव करते एक असाधारण प्रतिभावान युवक के सपनों को लगभग धराशायी होते देखने की त्रासदी को – माँ होने के नाते सहलाते- दिलासा देते, रोष को नियंत्रित करते और इस दौरान की तमाम अनुभूत....
