कविता

  • तलाश

    "पापा "उसने डबडबाई आँखों सेे कहा और गुम हो गयी देह-मंडी में स्थल-जी.बी.रोड दिल्ली समय-रात्रि 8,बीता कल वो सहसा सामने आ

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  • कोरोना काल में 

    विज्ञान के अँधेरे में सोने वाली दुनिया भ्रम के उजाले में भटकती है । जीवन के खंडहरों में सिर्फ उजाला नहीं, न ही सिर्फ

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  • पीड़ाओं का प्रकाशन अभी शेष है !

    अज्ञात भय से आक्रांत मैं चीखता-चिल्लाता हूँ  तो अवचेतन से बाहर खड़ी  विरक्ति मुझे अंक में भर लेती है।

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  • यहाँ किसी की सदा नहीं आती..

    कर्क रोग से लड़ते हुए 

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