अकन रातभर बिस्तर में करवट बदलता रहा, ढेर सारी बातें उसके मन में आती रहीं. बचपन से अब तक की बहुत सी स्मृतियां सिनेमा क
-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।