-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी

रम्यभूमि

अकन रातभर बिस्तर में करवट बदलता रहा, ढेर सारी बातें उसके मन में आती रहीं. बचपन से अब तक की बहुत सी स्मृतियां सिनेमा की रील की तरह उसके मन में चलती रहीं. वो सोचता रहा कि किस तरह बिना बात बढ़ाये चीजों को सुलझाया जाये. वो अपनी माँ और घरवालों को ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था. अकन रात भर सोचता रहा फिर पौ फटने के समय तक लगभग इस निष्कर्ष तक पहुँच पाया कि महानंद से सीधे-सीधे बात करना ....

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