"पापा "उसने डबडबाई आँखों सेे कहा
और गुम हो गयी देह-मंडी में
स्थल-जी.बी.रोड दिल्ली
समय-रात्रि 8,बीता कल
वो सहसा सामने आयी थी
मैंने बस कहा था इतना
"बेटी,मैं वो नहीं हूँ!"
तलाश-2
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।