सूर्यबाला

मानुष-गंध

‘‘कम्माल ए-आपका वैभव 

अमरीका से हिंदी में चिट्ठियां लिखता है?’’

मोना मलकानी अपनी आंखे  फाख्ते-सी झपकाती हैं।

‘‘और हर हफ्रते-’’ संभालते-संभालते भी मेरे अंदर से एक मीठे गुमान से भरी गागर छल्ल से छलक पड़ती है।

‘‘हर हफ्रते?’’ मिसेज मलकानी की आंखे अब पूरी तरह फैलकर छितर जाती हैं, फिर अपने अंदर तिनग ....

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