कोंकण के सब गांवों जैसा है गांव मंगेशी सदियों पुराना भव्य मंदिर है यहां भगवान मंगेश का जिसके चरण पखारने को है
पूरा पढ़ेबिटवा रूठा हुआ है बाबू से धुँआया हुआ है मन बाबू का भी खीज से
पूरा पढ़ेइतराती थी उपवन में वो लता थी शोभा उपवन की वो लता सुकून था जीवन में, सहलाती थी पवन दुलारती थी वृष्टि, पोषित करता था चम
पूरा पढ़ेमन की धुंधलाई स्मृति में खेत से लौटी क्लान्त माँ का बेडौल पेट उभरता है ।
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