दीपक शर्मा

मां की सिलाई मशीन

वरर्र? वरर्र?
सूनी रात के इस सुस्त अंधेरे में?
ड्योढ़ी में सो रही मैं जग गई।
व्हिरर! व्हिरर्र!!
फिर से सुना मैंने? मां की मशीन की दिशा से?
धप! मैं उठ बैठी। गली के खंभे वाली बत्ती की मंद रोशनी में मशीन दिख रही थी, लेकिन मां नहीं।
वह वहां हो भी नहीं सकती थी। वह अस्पताल में थी। ट्रामा सेंटर के बेड नंबर तेरह पर, जहां उसे उस दिन दोपहर में पहुंचाया गया था। सिर ....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें