हमने जब देश आज़ाद हुआ था यानी सन् 2014 में, तभी समझ लिया था कि अब हमारा समय आ गया है और अब किसी तरह के परदे की ज़रूरत नहीं है। हम अब खुलकर दिख सकते हैं औरखुल्लमखुल्ला दिखा सकते हैं। बस तभी से हमने तय कर लिया था कि हमें हिजाब से तौबा कर लेना चाहिए और हमने बगैर देर किए ऐसा कर डाला। अरे बेकार में सिर-मुँह क्यों ढँकना, इसलिए हमने हिजाब, नकाब, मुखौटा यानी जितने भी तरह के दृश्य-अदृश्य पर....
