एकांत श्रीवास्तव

लाल, नीला, पीला

                                                लाल
फागुन के टेसु अभी विदा भी नहीं हुए थे क‍ि गुलमोहर के फूलों का लाल दहकने  लगा । माँ को यह मौसम पसंद था ।
धूप की आँच अभी भली लगती थी । माँ नहाकर आती तो सबसे पहले दर्पण के सामने खड़ी होकर माँग में सिंदूर भरती और लाल बिंदी लगाती । फिर तुलसी चौरे पर दिया जलाती । कुएँ के पास से माँ की पूजा....

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