भारतेंदु-युग में ‘हिंदी नई चाल में ढली’ यानी खड़ी बोली का आरंभ साहित्य की कई विधाओं में ‘उपन्यास’, ‘नाटक’, ‘निबंध’, ‘कविता’, और समीक्षा में हुआ। यदि इस आरंभ के पीछे 1857 ई- की लड़ाई में पराजय का कहीं दंश था तो इससे उत्पन्न नई
राजनीतिक चेतना का असर भी कम नहीं था। जिसमें अंग्रेजी औपनिवेशिकता इसे मुक्ति की बैचेनी थी। हमें स्वीकार करना चाहिए कि इस परिवर्तन के प....
