केशव दास के चले जाने के बाद राधा घर के बाकी लोगों से आँखे चुराकर यहाँ वहाँ बैठी रही, बाहर की तरफ जाकर खड़ी रही और बस सम
-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।