कथाकार हंसा दीप लंबे समय से कैनेडा प्रवास में रहती हैं, अध्यापन करती हैं और हिंदी भाषा में निरंतर लिख रही हैं। उनके तीन उपन्यास कुबेर, बंद मुट्ठी और केसरिया बालम प्रकाशित हो चुके हैं। चार कहानी संग्रह हैं-चश्मे अपने अपने, शत प्रतिशत, उम्र के शिखर पर खड़े लोग और प्रवास में आस-पास। उनकी कृतियों के अनुवाद गुजराती (बंद मुट्ठी उपन्यास), मराठी, पंजाबी भाषाओं में हुए है....
