बहुत मुश्किल है कलम की ताकत को नकारना
बहुत मुश्किल है विचारों को दफन करना
मुश्किल है कलम को तोड़ना
एक तोड़ो हजारों पनक जाएंगे
जैसे एक कलम से हजारों होते हैं बीज तैयार
देख लो एक आम के पेड़ की ओर
पता चलेगा एक कलम की ताक़त
अब तुम उसमें ....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।