साहित्य किसी की चरित्र-हत्या का प्लेटफॉर्म नहीं है । अपने पचास वर्षों के लेखन में मैंने यह काम कभी नहीं किया । चरित
कृष्ण बिहारी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।