इस जहां से एकदिन तू भी हवा हो जाएगा
हादसों पर बात मतकर हादसा हो जाएगा
मेरी चाहत की कहानी में नया कुछ भी नहीं
मुझको पहले से खबर थी वो जुदा हो जाएगा
खत्म करता जा रहा वो तर्क की गुंजाइशें
देखना वो शख्स भी अब देवता हो जाएगा
लालसाएं मत बढ़ा ख....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।