क्या लिख सकता हूँ
मेरी यात्रा , चार कंधो पर सोया हूं
इस अपनी श्मसान यात्रा में
कफन ने सभी जब्त कर लिया है
रात्रि की सुगंध ,
जितनी भी थी जमा पूंजी और कुछ उधारी
शब्द अब है मेरे अंतराल में,
कितने छटपटाते हैं शब्द
मेरे रक्त में शामिल
बहुत नींद आ रही है
एक नयी दुनिया में प्रवेश हो रहा है मेरा
मन होता है एकबार ....
