पूनम शुक्ला

पीछे छूट गए शहर

हम आगे चलते गए 
हम आगे बढ़ते चले गए
बदलते चले गए शहर पर शहर
पर पीछे छूट गए शहर
>अपनी संपूर्ण गाथा सुनाने को आतुर

पीछे से देते हैं आवाज

पीछे छूट गए शहर 
दरअसल बातें करना चाहते हैं हमसे
वे हमारा हाथ थामें
सुनाना चाहते हैं अपनी दुखभरी कथा
दिखाना चाहते हैं हमें
अपने हरे-भरे उजड़े हुए बाग
कंक्रीट में बदले हुए खेत
अपनी ....

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