कुलभूषण रिक्शा चलाता था। पत्थर तोड़ता था। इमारतों के बनने पर ईंट-रोड़ी उठाता था। हो सकता है, मेरे निर्माण में भी उसका हाथ लगा हो। और रात को ठेला भी लगाता था। मोटा-मोटा ये कि कुलभूषण मेहनतकश था। आसपास होते हुए कामों की ज़रूरी इकाई था।
सूरज मध्य में था। किसके मध्य ये मत पूछियेगा ? फिलहाल तो, उस चमचमाती कलाकृति पर बरस रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उ....
