‘मैं विपक्षी दल से जुड़ा हूं जिसका नाम है जिंदगी---’
-बाल्जाक
अचानक कॉल बेल बज उठी तो प्रभाकर जी किंचित चौंक पड़े। आज रविवार था। सुबह के दस बजे थे। यह उनके लेऽन-पठन का समय होता है। ऐसे समय कोई अकारण आकर डिस्टर्ब करे, उन्हें स्वीकार्य नहीं। इस समय जो ख़लल पड़ता है तो फिर सारे दिन दिमाग अशांत रहता है और मनःस्थिति लेखन के अनुकूल नहीं बन ....
