प्यार हो जाता हूं
इतना आसान हूं
कि प्यार हो जाता हूं
इतना कठिन हूं
खुशियां हैं इतनी
कि गिनो एक तो
तपाक से हजार हो जाता हूं
अधीर हूं इतना....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।