वह सन् 2008 का वर्ष था। शाम का समय था लेकिन हवाओं मेंतेज़ गर्मी थी। मैं अपने पति डॉ.एम. रहमतुल्लाह के साथ ‘पाखी’ के कार्यालय में प्रेम भैया से मिलने गई थी। तब निविड़ शिवपुत्रजी मेरे पति के गहरे मित्र थे जो अक्सर प्रेम भैया की चर्चाएँ किया करते थे। प्रेम भैया बिहार के थे और दिल्ली में हमलोगों को अपने राज्य के लोगों की प्रशंसा सुनना काफ़ी अच्छा लगता था।अपने दफ़्तर में प्रे....
