राकेशरेणु

अधूरे को अंतिम न मानने की ज़िद

  मृत्यु से 24 दिन पहले अपने अंतिम फेसबुक पोस्ट में प्रेम भारद्वाज ने लिखा, '...उम्मीद एक जिंदा शब्द है। ताउम्र इस उम्मीद ने ही साथ दिया है। मुझे हमेशा ही लगता रहा है कि किसी भी परिस्थिति में कुछ भी किया जा सकता है। हिचकियों के बीच जिंदगी खत्म होने से रही।...' 

      प्रेम जी को याद करें तो जो सबसे पहली चीज हमारे जेहन में उभरती है वह है उनका उम्मीद से भरा मुस्....

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