पाखी पत्रिका समूह का प्रेम भारद्वाज जैसे साधारण व्यक्ति पर विशेषांक निकालने का विचार बेहद सराहनीय है। पाखी आज जिस मुकाम पर है, उसे सींचने में प्रेम जी ने सिर्फ अपना समय ही नहीं दिया, अपना जीवन ही दे दिया। जो लोग उन्हें थोड़ा-बहुत जानते हैं, वो इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पाखी प्रबंधन ने उन्हें लंबे समय से ‘आइसोलेशन’ में छोड़ दिया था। वो संपादक तो थे मगर उनके पास किस....
