यह बात सोच कर मेरी आँखें नम हो जाती हैं कि जो बात मुझे प्रेम भारद्वाज जी से कहनी थी वह उन से न कह कर, मैं यहाँ लिखने के लिये मजबूर हूँ। मुझे उनसे बस इतनी सी बात कहनी थी - आप स्पेशल हैं।
प्रेम भारद्वाज जी मेरे पहले संपादक थे। हर लेखक का कोई पहला संपादक होता है। उसका यूँ होना एक इत्तेफाक होता है, यह जरूरी नहीं यह कोई खास बात हो। परंतु जब वह पहला संपादक प्रेम भारद्वाज....
