एक रचनात्मक दोस्त का जाना कितना दुखद हो सकता है, इसका अंदाजा वही लगा सकता है जिसने कोई दोस्त खोया हो। हमने पिछले दिनों अपना एक दोस्त खो दिया। एक ऐसा दोस्त जिस पर समूचे साहित्य जगत का अधिकार था। दो टूक , खरा बोलने वाले , प्रेम जी सबके मित्र थे, सबके हितैषी थे। जो खरा बोलता हो, स्पष्ट बोलता हो, जो निर्भय होकर कमियां बताएं, सवाल उठाए, वही सच्चा हिचैषी होता है। मुंहदेखी बात करने वा....
