याद नहीं प्रेम भारद्वाज से पहली मुलाकात कब हुई। लेकिन 96-97 के दौरान वे अखबारों में फ्रंीलांसिग करते नजर आते थे। पीरमुहानी में मेरे बचपन के मित्र व पत्रकार अंजनी तिवारी के घर में ऐसे फ्रीलांसर और संघर्षषील पत्रकारों का जमावड़ा होता। कमलेष वर्मा सुनील राज, प्रेम भारद्वाज, अषोक षर्मा, संजय कुंदन, रत्नेष्वर जैसे लोग यहां इकटठा आते। इन लोगों ने इस अड्डे का एक नाम भी ....
