अभिषेक सौरभ

    केदारनाथ सिंह की कविता ‘गाँव आने पर’ का पुनर्पाठ 

                 
केदारनाथ सिंह की कविताओं में ग्राम्य और शहरी अनुभवों की विशेष बुनावट एक साथ सहज परिलक्षित की जा सकती है | उनका जीवनकाल भी एक ऐसा दौर रहा है, जिसमें लोगों के गाँव छूटते रहे हैं और उनसे शहरों का निर्माण होता रहा है | स्वतंत्रता-प्राप्ति के उपरांत भारतीय समाज के शहरीकरण में जो तेजी आई, कवि और उनकी पीढ़ी इसके साक्षी रहे हैं | इस दौर के बहुत सारे कवियों क....

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