व्यंग्य निरन्तरता की मांग करता है और निरन्तरता में नवीन की उपस्थिति का आग्रह स्वयं मौजूद हो जाता है। लेकिन निरन्त
पूरा पढ़ेउपन्यास समाज, जीवन-जगत के प्रकट-अप्रकट रूपों, अंतरसंबंधों, वैविध्य, सपनों, सरोकारों-चिंताओं का प्रतिबिम्ब होता है।
पूरा पढ़ेअरसे से लोकप्रिय कविता या लेखन को गंभीर कवियों या लेखकों के मध्य दोयम दर्जे का माना जाता रहा है। आज भी कुछ प्रकाशक
पूरा पढ़ेशिवपूजन सहाय का उपन्यास 'देहाती दुनिया' वर्ष 1926 में प्रकाशित हुआ था। - आज उसे पढ़ते हुये हम पूरी एक सदी के अंतराल पर स
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