ओम नागर

तुम्हारे आँसूओं का नमक 

कोटा से शाम को रेलगाड़ी में बैठो तो

सुबह जो आँख खुलेगी

वो माया नगरी मुम्बई में खुलेगी

 

सफ़र की भूख के लिए

अखबारी कागज़ और ऊपर से पॉलीथिन लपेटकर 

रखे थे जो तुमने

आलू की सूखी सब्जी के साथ पराठें

 

पराठे की एक जेब में

थोड़ा-सा केरी का स्वादि....

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