कोटा से शाम को रेलगाड़ी में बैठो तो
सुबह जो आँख खुलेगी
वो माया नगरी मुम्बई में खुलेगी
सफ़र की भूख के लिए
अखबारी कागज़ और ऊपर से पॉलीथिन लपेटकर
रखे थे जो तुमने
आलू की सूखी सब्जी के साथ पराठें
पराठे की एक जेब में
थोड़ा-सा केरी का स्वादि....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।