लगभग एक दशक लम्बी यात्रा के बाद भी आलोचकों ने लघुकथाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, तथापि अनेक लघुकथाकारों ने इस विधा को स्थापित करने में सतत प्रयास किया है और वे अपने इस प्रयास में सफल भी हुए हैं जिनकी लेखन-क्षमता ने देर-सवेर पाठक जगत में अवश्य ही एक विशिष्ट स्थान बनाया है। पिछले एक दशक के दौरान छपने वाली लगभग हर पत्रिका में लघुकथाओं का छपना इस विधा की कामयाबी की दास्ताँ कह....
