गेंहू की बालियों में
अलस्सुबह गेहूं की बालियों पर
कुछ बूंदे ओस की ढलक आती हैं
जो सूरज की रोशनी में
मोती की मानिंद
बन जाती हैं उम्मीद की किरण।
खेतों में उग आये गेंहू
की हरीतिमा से
खिल उठी है अप्रतिम मुस्कान
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।