‘‘प्रश्न एक महेश असुर का नहीं है। उनका क्या जिनके खेत सस्ते में हड़प कर पुर्नवास के नाम पर उन्हें ऐसी बंजर जमीनें दी गई हैं जिन पर घास तक नहीं उगती...?’’
‘‘छोडि़ए भी इसे।’’ महालिंगम ने मनुहार के स्वर में कहा था।
‘‘नहीं, कतई नहीं। बताईए मुझे कि उनका क्या होगा जिनके घर परिवार तबाह कर आपने मुआवजे में थोड़े रुपए दिए हैं जिन्हें निवेश या बचत करना....
