कल रात सपने में
गांधारी ने इंकार कर दिया
आंखों पर पट्टी बांधने से
एकलव्य ने नहीं काटा
अपना अंगूठा द्रोण के लिए
सीता ने मना कर दिया
अग्नि-परीक्षा देने से
द्रौपद....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।