आत्मवक्तव्य/रचना त्यागी
उन स्थितियों को हू -ब -हू लिख रही हूँ, जिन्होंने मुझसे कहानी लिखवाई। यह समझ लीजिये कि एक लेखकीय ट्टण का बोझ हल्का हो गया है इसे लिखने के बाद कहते हैं, शब्दों में बहुत ताकत होती है। इसी उम्मीद से यह लिखी कि कभी कहीं ये शब्द पहुंचकर अपना काम कर पायें। और कुछ नहीं, तो एक मार्मिक दुर्व्यवस्था के बरअक्स अपनी शिकायत दर....
