कविता मेरे लिए असाध्यवीणा है। मेरी कविता का ध्रुवक है कालांकित में कालाकिंत सत्य का अन्वेषण। बातचीत की लय में नई आकस्मिकताओं की सृष्टि कहां तक कर सका हूं, यह तो पाठक ही तय करेंगे। रघुवीर सहाय के शब्दों में कहूं तो न सही यह कविताएं यह मेरे हाथ की छटपटाहट है। आत्म-सत्य की लयाभिव्यक्ति है। कविता भावों का निवेश है, विचारों का उपनिवेश नहीं। कविता संवेदना का साधारणीकरण है, उद....
