अनुवाद: डॉ- आफताब अहमद
उन दिनों मिर्जा के होशोहवास पर हिल-स्टेशन बुरी तरह सवार था। लेकिन हमारा हाल उनसे भी ज्यादा खस्ता था। इसलिए कि हम पर मिर्जा अपने प्रभावित होशो-हवास और हिल-स्टेशन समेत सवार थे। जान मुश्किल में थी। उठते-बैठते, सोते-जागते इसी की चर्चा, इसी का भजन। हुआ यह कि वे सरकारी खर्च पर दो दिन के लिए कोयटा हो आए थे और अब इस पर मचले थे कि हम ब....
