सुनील दास

मोहपाश


बांगला से अनुवाद: श्याम सुंदर चौधरी

काफी देर डाक बंगले के बरामदे में बैठे वो उस खूबसूरत दृश्य को निहार रहे थे। पूनम का चांद धीरे-धीरे ऊपर उठता जा रहा था। चारों ओर पर्वत मालाएं और घने जंगल। ये सभी मिलकर उस परिवेश को कितना शांत और करुणा बना रहे थे। अचानक जैसे इन सबके बीच से पच्चीस वर्ष पुराना कोई दृश्य आकर उनके सामने खड़ा हो गया। साथ ही एक ....

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