स्व.कवि मलखान सिंह

दलित चेतना की बुलंद आवाज का जाना

 

कवि मलखान सिंह (1948, 2019) को सबसे पहले मैंने मार्च 2014 में लखनऊ के एक दलित साहित्य की संगोष्ठी में देखा था। सच बताऊ तब तक मैंने उनका बेहद चर्चित काव्य संग्रह ‘सुनो ब्राह्यण’ न देखा था और न पढ़ा था। इसका कारण यह था कि ‘सुनों ब्राह्यण’ काव्य संग्रह प्रकाशित होने के बाद एकअरसे तक अनुपल्बध रहा। मलखान सिंह के कविता संकलन के पढ़ने का अवसर मुझे तब प्राप्त हुआ जब ....

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