माघ महीने में लाखेश्वर और तारा की शादी हो गई। समय बहुत तेजी से बीत रहा था। आजकल ऊपरी असम की तरफ से निचले असम तक और उस
कालजयी रचनाओं का पुर्नपाठ: मेरे संधिपत्र
-अनुवाद: पापोरी गोस्वामी
सूर्यबाला
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।