कृष्ण बिहारी

आपबीती 

32 साल का सफ़र

 

बाहर की दुनिया और भी विकराल थी...

मेरा वर्क परमिट एक महीने के भीतर बन गया। वर्क परमिट को तब पताका कहा जाता था। पताका एक छोटी-सी बुकलेट थी जो पर्स में रखी जा सकती थी। प्रायः लोग उसकी फोटोकापी ही साथ रखते थे। पताका किसी भी व्यक्ति की वैध पहचान थी। अब जिसे आई डी के नाम से जाना जाता है उन दिनों संयुक्त ....

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